बांया और दांया हाँथ का महत्व


यद्यपि इस बात पर बहस होती रही है कि कौन सा हाथ पढ़ना बेहतर है, पर दोनों का अपना महत्व है. यह मानने का रिवाज है कि बांया हाथ व्यक्ति की संभावनाओं को प्रदर्शित करता है, और दाहिना सही व्यक्तित्व का प्रदर्शक होता है. कुछ का कहना है कि महत्व इस बात का है कि कौन सा हाथ देखा जाता है. "दाहिने हाथ से भविष्य और बाएं से अतीत देखा जाता है." "बायां हाथ बताता है कि हम क्या-क्या लेकर पैदा हुए हैं और दाहिना दिखाता है कि हमने इसे क्या बनाया है." "दाहिना हाथ पुरुषों का पढ़ा जाता है, जबकि महिलाओं का बायां हाथ पढ़ा जाता है." "बांया हाथ बताता है कि ईश्वर ने आपको क्या दिया है, और दायां बताता है कि आपको इस संबंध में क्या करना है."
लेकिन इन सब कहने की बातें हैं, वृत्ति और अनुभव ही आपको बेहतर ढंग से बतायेगा कि आखिर में कौन सा हाथ पढ़ना ठीक रहेगा.
  • वाम हाथ को दाहिने मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होने के लिए छोड़ दें, (नमूने की पहचान, संबंधों की समझ-बूझ) जिससे व्यक्ति की आंतरिक खासियतों, उसकी प्रकृति, आत्म, स्त्रैण गुण, और समस्याओं के निदान का सोच प्रतिबिंबित होता है. इसे एक व्यक्ति के आध्यात्मिक और व्यक्तिगत विकास का एक हिस्सा माना जा सकता है. यह व्यक्तित्व का "स्त्रैण" हिस्सा (स्त्रैण और ग्रहणशील) है.
  • इसके विपरीत दाहिना हाथ बाईं मस्तिष्क (तर्क, बुद्धि और भाषा) द्वारा नियंत्रित होता है, जो बाहरी व्यक्तित्व, आत्म उद्देश्य, सामाजिक माहौल का प्रभाव, शिक्षा और अनुभव को प्रतिबिंबित करता है. यह रैखिक सोच का प्रतिनिधित्व करता है. यह व्यक्तित्व के "स्त्रैण" पहलू (पुरुष और जावक) से मेल खाता है.
बांया और दांया हाँथ का महत्व बांया और दांया हाँथ का महत्व Reviewed by Unknown on January 16, 2012 Rating: 5

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