साबर मंत्र सिद्ध करने की विधि

आज बहुत दिनों के बाद ब्लॉग में फिर से वापसी हुई है तो सोंचा कि कुछ ऐसी जानकारी दी जाये जो अक्सर लोग मुझसे फोन के माध्यम से पूंछते रहतें हैं  कि बिना गुरु किये मंत्रो को जाग्रत या सिद्ध कैसे करें?
आज लगभग हर नव साधक के मन में ये विचार आता है की वो मन्त्रों को जागृत  या फिर सिद्ध करें किन्तु आधी -अधूरी जानकारी की वजह से बहुत से लोग मंत्रो को सिद्ध नहीं कर पाते और दोष देतें हैं की अमुक मन्त्र से काम नहीं हुआ या फिर मेहनत बेकार चली गयी .आज की पोस्ट उन्ही लोगों के लिए है जो मंत्रो को सिद्ध करना चाहते हैं.ये सही है कि बिना गुरु के सफलता नहीं प्राप्त की जा सकती ,किन्तु अगर कोई ढंग का गुरु न मिले तो क्या सफलता की कामना ही नहीं करनी चाहिए ?


अब से आप कोई भी साधना चालू करें तो सबसे पहले अपने पूज्य देव की फोटो या मूर्ति के सामने साधना से सम्बंधित मंत्र का ११ बार जप करें इसका मतलब ये होता है की आप अपने आराध्य से मन्त्र की दीक्षा ले रहें हैं इस प्रक्रिया के बाद  आराध्य को अपना गुरु मानकर नीचे दिए  सर्वार्थ साधक मंत्र  का २१ बार जप कर लें .
सर्वार्थ साधक मंत्र इस प्रकार है -“गुरु सठ गुरु सठ गुरु हैं वीर, गुरु साहब सुमरौं बड़ी भाँत । सिंगी टोरों बन कहौं, मन नाऊँ करतार । सकल गुरु की हर भजे, घट्टा पकर उठ जाग, चेत सम्भार श्री परम-हंस ।”
इसके बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जप करें .
“वक्र-तुण्डाय हुं ” 
इसके बाद चारों  दिशाओं से रक्षा की कामना करते हुए नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें ,क्योंकि किसी भी साधना को शुरू करने से पहले आपको अपनी सुरक्षा का उपाय भी करना होगा  जिससे की आपकी उपासना में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों का व्यवधान न होने पाये
दिग्बन्धन मंत्र -“वज्र-क्रोधाय महा-दन्ताय दश-दिशो बन्ध बन्ध, हूं फट् स्वाहा ”

ये सभी मंत्र स्वयं सिद्ध हैं इसलिए इन्हें सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है .
उपरोक्त मंत्रो का जप करने के बाद आप अपनी साधना या मंत्र जप आरम्भ कर सकतें है ,साधना से सम्बंधित 
किसी अन्य जानकारी के लिए आप कमेन्ट बाक्स में अपनी जिज्ञासा मुझे भेज सकतें है ............. 

साबर मंत्र सिद्ध करने की विधि साबर मंत्र सिद्ध करने की विधि Reviewed by Unknown on July 08, 2013 Rating: 5

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