प्लाट खरीदने से पहले प्लाट की वास्तुस्थिति जरूर देख लेनी चाहिए,जैसे की जहाँ आप प्लाट खरीद रहे है वहाँ पेड़ पौधों की संख्या कितनी है , प्लाट में या आस - पास कुवां या नलकूप किस दिशा एवं किस स्थिति में है एवं प्लाट की लम्बाई चौड़ाई व आकार कितनी है .
उपरोक्त बातों को अच्छी तरह से देख लेने के बाद ही प्लाट का चयन करें .वैसे अच्छा प्लाट वही माना गया है जिसकी चारों भुजाएं बराबर ९० डिग्री कोण में हों .
जहाँ तक संभव हो उत्तरमुखी या पूर्वमुखी प्लाट का चयन ही करना चाहिए, ये प्लाट अति उत्तम माने जाते हैं,क्योंकि भवन के लिए इन दोनों दिशाओं को बहुत ही अच्छा माना जाता है .अगर किसी प्लाट में उत्तर और पूर्व की दिशा खुली हुई हो तो वो प्लाट दिशा के हिसाब से बहुत ही शुभ माना जाता है.
प्लाट को पूरब एवं उत्तर की ओर नीचा , एवं पश्चिम व दक्षिण की तरफ ऊंचा होना चाहिए .
उस प्लाट व घर का चयन कदापि न करें जिससे सटकर मंदिर, मस्जिद ,चौराहा , पीपल,वटवृक्ष आदि हों.क्योंकि इन स्थितियों में उस घर में रहने वाले हर एक सदस्य की मानसिक आर्थिक एवं शारीरिक उन्नति में बाधाएं आने लगती हैं.
प्लाट या भवन के दक्षिण दिशा की और जल स्रोत को वास्तु शास्त्र के अनुसार बहुत ही अशुभ माना गया है.घर की नाली का निकास इस दिशा में कदापि नहीं होना चाहिए इसी के ठीक विपरीत अगर घर की नाली का निकास अथवा कुवां उत्तर दिशा में है तो ये बेहद शुभ फल देने ,वाला माना गया है.
पूरब से पच्छिम की ओर लंबा प्लाट सूर्य वेधी मन जाता है जिसे वास्तु के हिसाब से बहुत ही शुभ माना जाता है, एवं उत्तर से दक्षिण की ओर का लंबा प्लाट धन प्रदायक माना जाता है.
प्लाट लेते समय अथवा भवन निर्माण करते समय ये ध्यान रखना चाहिए की भवन का निर्माण उस प्लाट पर कभी न करें जिसकी त्रिकोण आकृति हो, ये सबसे खतरनाक प्लाट घर के सदस्यों के लिए साबित हो सकता है .
मेरे एक मित्र जो लखनऊ नगर निगम में उच्च पद पर आसीन थे ,इसी तरह के सस्ते प्लाट के चक्कर में पड़कर अपना सब कुछ गँवा बैठे थे, अगर मै उनकी सारी बातों को यहाँ बताने लगूंगा तो शायद समय ही कम पड़ जायेगा .कहने का तात्पर्य ये है की त्रिकोण प्लाट अगर कोई फ्री में भी दे तो भी नहीं लेना चाहिए .
अब कुछ खास वास्तु टिप्स आपके लिए जिन्हें अपना कर आप भी अपने भवन के दोष को दूर कर सकते हैं
मुख्य दरवाजा
* दरवाजे के सामने रास्ता न हो अन्यथा गृहस्वामी की उन्नति नहीं होगी।
* दरवाजे के सामने पेड़ होने से बच्चे बीमार रहते है।
* दरवाजे के सामने पानी बहता रहे तो धन हानि होती है।
* दरवाजे के सामने मंदिर हो तो घर में कभी सुख नहीं मिलता।
* स्तंभ (खंभे) के सामने दरवाजा हो तो स्त्री हानि होती है।
* यदि मुख्य दरवाजा एक हो (मुख्य द्वार) तो हमेशा पूर्व में रखें। यदि दो दरवाजों का प्रवेश हो तो पूर्व
व पश्चिम में बनाएँ।
* जमीन की तुलना में यदि दरवाजा नीचा हो तो घर के पुरुष व्यसनासिक्त व दु:खी रहते हैं।
* घर के आगे वीथिशूल हो (रास्ता, मंदिर आदि) तो घर की ऊँचाई से दोगुनी जगह आगे छोड़ने से दोष नहीं लगता।
* यदि कोई रास्ता आपके घर या इमारत से आड़ा होकर निकले या इमारत तक आकर समाप्त हो तो यह
शुभ होता है।
* घर का मुख्य द्वार हमेशा अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए।
प्लाट खरीदने से पहले
Reviewed by Unknown
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February 04, 2012
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