भगवान् गणेश को सर्वव्याधि निवारक एवं सुख समृद्धि प्रदायक देव माना जाता है l इनकी उपासना भी शीघ्र फल प्रदायक होती है l जिस घर में सुबह एवं शाम को इनके नाम का उच्चारण ,जप अथवा पूजन होता है वहां कभी भी नकारात्मक शक्तियां ठहर नहीं सकती l आज मै आप लोगों के लिए तंत्र की दुनिया के महत्वपूर्ण एवं अति प्राचीन ग्रन्थ रूद्रायमल तंत्र से कुछ शीघ्र प्रभावी मंत्र ले कर आया हूँ l ये सर्व कार्यसिद्धि प्रदायक गणेश जी का महत्वपूर्ण मंत्र है l इस मंत्र से साधक सर्वजन वशीकरण ,आर्थिक मुसीबतें या फिर जिंदगी की कोई अन्य छोटी या बड़ी मुसीबतें सब पर विजय प्राप्त कर लेता है l इस मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के बाद साधक के शरीर में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा समाहित होने लगती है ,जिसके प्रभाव से साधक को अपने अन्दर एक दिव्य शक्ति का आभास होने लगता है ,या यूं कहें की साधक के लिए कोई भी उपरोक्त वर्णित कार्य असंभव नहीं होते l
मंत्र -
विधि - साधक इस साधना को किसी भी शुभ पक्ष के बुधवार की रात्रि को संपन्न करे l सर्वप्रथम साधक स्वच्छ वस्त्र धारण कर संकल्प ले फिर घी का दीपक जलाकर आसन पूजन ,गुरु पूजन ,गुरु मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से संपन्न करे , फिर भगवान् गणेश को भोग आदि समर्पित कर उनसे इस साधना की अनुमति लें l तत्पश्चात उत्तराभिमुख हो कर उपरोक्त मंत्र को गणेश जी की तस्वीर अथवा मूर्ति के समक्ष ११०८ की संख्या में जप करे l जप की समाप्ति पर दशांश हवन करे, इस प्रकार ये मंत्र सिद्ध हो जाता है l
मन्त्र सिद्धि के बाद भी साधक को इस मंत्र का जप करते रहना चाहिए जिससे की इस मंत्र का प्रभाव साधक एवं साधक के परिवार पर बना रहता है l वस्तुतः ये एक महत्वपूर्ण साधना है जो रोग ,भय, दरिद्रता ,शत्रु सम्मोहन आदि में शीघ्र प्रभावशाली हैl
अंत में मै अपने साधकों से इतना जरूर कहूँगा की तंत्र एवं मंत्र का जब भी प्रयोग करें अपनी एवं समाज की भलाई के लिए ही प्रयोग करें ,क्योंकि मै व्यक्तिगत रूप से ऐसे कई साधकों को जानता हूँ जिन्होंने अपनी सिद्धियों का दुरूपयोग करके अपना एवं अपने परिवार का सब कुछ तबाह कर लिया l
मंत्र -
देव देव महाआरण्य माता वरुण पिता शांडिलगोत्रवाहनभू अग्ने स्वाहा l
ॐ विद्या क्लीं क्लीं कटुस्वाहा l
सर्वासां सिद्धिनां स्वाहा l
ॐ हं षं षं लोकाय स्वाहा l
रक्ततुंडाय स्वाहा l
ॐ नजगजीक्षस्वामी ॐ नजगजीक्षस्वामी l
विधि - साधक इस साधना को किसी भी शुभ पक्ष के बुधवार की रात्रि को संपन्न करे l सर्वप्रथम साधक स्वच्छ वस्त्र धारण कर संकल्प ले फिर घी का दीपक जलाकर आसन पूजन ,गुरु पूजन ,गुरु मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से संपन्न करे , फिर भगवान् गणेश को भोग आदि समर्पित कर उनसे इस साधना की अनुमति लें l तत्पश्चात उत्तराभिमुख हो कर उपरोक्त मंत्र को गणेश जी की तस्वीर अथवा मूर्ति के समक्ष ११०८ की संख्या में जप करे l जप की समाप्ति पर दशांश हवन करे, इस प्रकार ये मंत्र सिद्ध हो जाता है l
मन्त्र सिद्धि के बाद भी साधक को इस मंत्र का जप करते रहना चाहिए जिससे की इस मंत्र का प्रभाव साधक एवं साधक के परिवार पर बना रहता है l वस्तुतः ये एक महत्वपूर्ण साधना है जो रोग ,भय, दरिद्रता ,शत्रु सम्मोहन आदि में शीघ्र प्रभावशाली हैl
अंत में मै अपने साधकों से इतना जरूर कहूँगा की तंत्र एवं मंत्र का जब भी प्रयोग करें अपनी एवं समाज की भलाई के लिए ही प्रयोग करें ,क्योंकि मै व्यक्तिगत रूप से ऐसे कई साधकों को जानता हूँ जिन्होंने अपनी सिद्धियों का दुरूपयोग करके अपना एवं अपने परिवार का सब कुछ तबाह कर लिया l
समस्त कार्यसिद्धिकारक गणेश मंत्र
Reviewed by Unknown
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August 02, 2013
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